कहता हूँ तो तोहमत हसद होती है Admin तलब हिंदी शायरी, Rubaai << क्या तुम से कहें जहाँ को ... जो हसरत-ए-दिल है वो निकलन... >> कहता हूँ तो तोहमत हसद होती है ख़ामोशी में दिल को सख़्त कद होती है दुनिया-तलबी ज़रूर है इंसाँ को लेकिन हर शय की एक हद होती है Share on: