क्या तुम से कहें जहाँ को कैसा पाया Admin गफलत शायरी, Rubaai << लफ़्ज़ों के चमन भी इस में... कहता हूँ तो तोहमत हसद होत... >> क्या तुम से कहें जहाँ को कैसा पाया ग़फ़्लत ही में आदमी को डूबा पाया आँखें तो बे-शुमार देखीं लेकिन कम थीं ब-ख़ुदा कि जिन को बीना पाया Share on: