कलकत्ता को डाक में चला हूँ जो मैं आह Admin Rubaai << मज़मून अगर राह में हाथ आत... जर्राह के सामने खोला फोड़... >> कलकत्ता को डाक में चला हूँ जो मैं आह ग़ैरों के पाँव से हुई क़त्अ ये राह हैं तेज़ कहार पालकी में हूँ सवार क्या ख़ाना-ब-दोश मैं चला हूँ वल्लाह Share on: