कुछ वक़्त से एक बीज शजर होता है By Rubaai << छाया है बगूलों का फ़ुसूँ ... जब भी करे यलग़ार अफ़्सुर्... >> कुछ वक़्त से एक बीज शजर होता है कुछ रोज़ में एक क़तरा गुहर होता है ऐ बंदा-ए-ना-सबूर तेरा हर काम कुछ देर में होता है मगर होता है Share on: