क्या तब्ख़ मिलेगा गुल-फ़िशानी कर के By Rubaai << लिल्लाह हमारे ग़ुर्फ़ा-ए-... ख़ुद से न उदास हूँ न मसरू... >> क्या तब्ख़ मिलेगा गुल-फ़िशानी कर के क्या पाएगा तौहीन-ए-जवानी कर के तू आतिश-ए-दोज़ख़ से डराता है उन्हें जो आग को पी जाते हैं पानी कर के Share on: