लाज़िम मलज़ूम हो गए ज़ात-ओ-सिफ़ात Admin मासूम शायरी, Rubaai << मैं नफ़्स-परस्ती से सदा ख... ख़जलत से मरा जाता हूँ क्य... >> लाज़िम मलज़ूम हो गए ज़ात-ओ-सिफ़ात हैं शख़्स-ओ-वजूद अक्स-ओ-साया का सबात तौहीद का जल्वा हैं हुदूस और क़िदम मादूम सिफ़त है ज़ात क़ाएम है ब-ज़ात Share on: