ले ले के क़लम के लोग भाले निकले Admin Sms छाप शायरी, Rubaai << मिस्कीन गदा हो या हो शाह-... लज़्ज़त चाहो तो वस्ल-ए-मा... >> ले ले के क़लम के लोग भाले निकले हर सम्त से बीसियों रिसाले निकले अफ़्सोस कि मुफ़्लिसी ने छापा मारा आख़िर अहबाब के दिवाले निकले Share on: