मिस्कीन गदा हो या हो शाह-ए-ज़ी-जाह Admin बीमारी पे शायरी, Rubaai << पाबंद अगरचे अपनी ख़्वाहिश... ले ले के क़लम के लोग भाले... >> मिस्कीन गदा हो या हो शाह-ए-ज़ी-जाह बीमारी-ओ-मौत से कहाँ किस को पनाह आ ही जाता है ज़िंदगी में इक वक़्त करना पड़ता है सब को अल्लाह अल्लाह Share on: