मक़्सूद है क़ैद-ए-जुस्तुजू से बाहर Admin एपीजे अब्दुल कलाम शायरी, Rubaai << नक़्क़ाश से मुमकिन है कि ... मा'लूम का नाम है निशा... >> मक़्सूद है क़ैद-ए-जुस्तुजू से बाहर वो गुल है दलील-ए-रंग-ओ-बू से बाहर अंदर बाहर का सब तअय्युन है ग़लत मतलब है कलाम-ओ-गुफ़्तुगू से बाहर Share on: