मत कहियो ज़बाँ है ये मुसलामानों की Admin उर्दू शायरी ज़िन्दगी, Rubaai << रक्खो जो मुक़ाबिल उस के स... क्यूँ उन को सताने में मज़... >> मत कहियो ज़बाँ है ये मुसलामानों की उर्दू तो है दुनिया के सब इंसानों की बाज़ार में दफ़्तर में गली कूचों में महबूब ज़बाँ है ये सुख़न दानों की Share on: