रक्खो जो मुक़ाबिल उस के सारा आलम Admin Rubaai << रोज़ी मिल जाए माल-ओ-दौलत ... रग़बत जो दिलाई वुसअत-ए-मश... >> रक्खो जो मुक़ाबिल उस के सारा आलम दुनिया ब-ख़ुदा है इक ज़र्रे से भी कम इस इक ज़र्रे में है हमारी क्या अस्ल ना-फ़हम हैं कर रहे हैं नाहक़ हम हम Share on: