मय-ख़ान-ए-कौसर का शराबी हूँ मैं By Rubaai << ज़ुल्फ़ों से फ़ज़ाओं में ... यूँ इश्क़ की आँच खा के रं... >> मय-ख़ान-ए-कौसर का शराबी हूँ मैं क्या क़ब्र का ख़ौफ़ बू-तुराबी हूँ मैं कहती है ये चश्म ख़ुश रक्खो न मुझे ऐ अहल-ए-नज़र मर्दुम-ए-आबी हूँ मैं Share on: