पानी में है आग का लगाना दुश्वार Admin घड़ी शायरी, Rubaai << पुर-शोर उल्फ़त की निदा है... नक़्क़ाश से मुमकिन है कि ... >> पानी में है आग का लगाना दुश्वार बहते दरिया को फेर लाना दुश्वार दुश्वार सही मगर न उतना जितना बिगड़ी हुई क़ौम को बनाना दुश्वार Share on: