पुर-शोर उल्फ़त की निदा है अब भी Admin निंदा शायरी, Rubaai << शैतान करता है कब किसी को ... पानी में है आग का लगाना द... >> पुर-शोर उल्फ़त की निदा है अब भी जो थी वही आन और अदा है अब भी होती नहीं सुन्नत-ए-इलाही तब्दील जिस शान में है वही ख़ुदा है अब भी Share on: