शैतान करता है कब किसी को गुमराह Admin ग़ालिब लव शायरी, Rubaai << तक़रीर से वो फ़ुज़ूँ बयान... पुर-शोर उल्फ़त की निदा है... >> शैतान करता है कब किसी को गुमराह इस राज़ से है ख़ुदा-ए-ग़ालिब आगाह है काम किसी का और किसी पर इल्ज़ाम ला-हौल-वला-क़ुव्वता इल्ला-बिल्लाह Share on: