पुश्त-ओ-शिकम-ओ-चश्म-ओ-लब-ओ-गोश-ओ-दहान Admin नींद शायरी उर्दू, Rubaai << ये दौर है यूँ अपनी बसीरत ... जाहिल भी हैं सुक़रात-ए-सन... >> पुश्त-ओ-शिकम-ओ-चश्म-ओ-लब-ओ-गोश-ओ-दहान इस रब्त-ए-तन-ओ-तोश को इंसान न जान अस्नाद का पिंदार न दौलत का ख़ुमार होता है शराफ़त से मुशख़्ख़स इंसान Share on: