रफ़्तार ओ सदा गुम्बद-ए-अफ़्लाक में आए By Rubaai << नालों से कभी नाम न लूँगा ... लाज़िम नहीं इस दौलत-ए-फ़ा... >> रफ़्तार ओ सदा गुम्बद-ए-अफ़्लाक में आए कुछ रंग-ए-हया दीदा-ए-चालाक में आए हर चीज़ मुक़य्यद है किसी के दिल में दिल टूटे तो जाँ नक़्श-ए-कफ़-ए-ख़ाक में आए Share on: