रोज़ी मिल जाए माल-ओ-दौलत न सही Admin अजीज शायरी, Rubaai << रुकता नहीं इंक़लाब चारा क... रक्खो जो मुक़ाबिल उस के स... >> रोज़ी मिल जाए माल-ओ-दौलत न सही राहत हो नसीब शान-ओ-शौकत न सही घर-बार में ख़ुश रहें अज़ीज़ों के साथ दरबार में बाहमी रक़ाबत न सही Share on: