सख़्ती का जवाब नर्मी है By Rubaai << गर यार के सामने मैं रोया ... अब वक़्त-ए-सुरूर- ओ फ़रहत... >> फ़ित्ना को जहाँ तलक हो दीजे तस्कीं ज़हर उगले कोई तो कीजे बातें शीरीं ग़ुस्सा ग़ुस्से को और भड़काता है इस आरिज़ा का इलाज बिल-मिस्ल नहीं Share on: