तक़रीर से वो फ़ुज़ूँ बयान से बाहर Admin कान्हा शायरी हिंदी, Rubaai << तौहीद की राह में है वीरान... शैतान करता है कब किसी को ... >> तक़रीर से वो फ़ुज़ूँ बयान से बाहर इदराक से वो बरी गुमान से बाहर अंदर बाहर है वो न पैदा पिन्हाँ सरहद-ए-मकान-ओ-ला-मकान से बाहर Share on: