सोज़-ए-ग़म-ए-दूरी ने जला रक्खा है By Rubaai << थे ज़ीस्त से अपनी हाथ धोए... शब्बीर का ग़म ये जिस के द... >> सोज़-ए-ग़म-ए-दूरी ने जिला रक्खा है आहों ने कँवल दिल का बुझा रक्खा है निकलो कहीं जल्द उम्र-ए-आख़िर है 'अनीस' इस हिन्द-ए-सियह-बख़्त में क्या रक्खा है Share on: