थे ज़ीस्त से अपनी हाथ धोए सज्जाद By Rubaai << ठोकर भी न मारेंगे अगर ख़ु... सोज़-ए-ग़म-ए-दूरी ने जला ... >> थे ज़ीस्त से अपनी हाथ धोए सज्जाद शब को कभी राहत से न सोए सज्जाद जब तक जिए हँसते न किसी ने देखा चालीस बरस बाप को रोए सज्जाद Share on: