तौहीद की राह में है वीराना-ए-सख़्त Admin ताल्लुक शायरी, Rubaai << तेज़ी नहीं मिनजुमला-ए-औसा... तक़रीर से वो फ़ुज़ूँ बयान... >> तौहीद की राह में है वीराना-ए-सख़्त आज़ादी-ओ-बे-तअल्लुक़ी है यक-लख़्त दुनिया है न दीन है न दोज़ख़ न बहिश्त तकिया न सराए है न चश्मा न दरख़्त Share on: