वो रंग-ए-कुहन तुम्हारे आशिक़ में नहीं Admin Rubaai << वो शान-ओ-शौकत ज़िंदगानी न... उस क़ौम को यक-दिली की रग़... >> वो रंग-ए-कुहन तुम्हारे आशिक़ में नहीं उलझा हुआ अब वो तर्ज़-ए-साबिक़ में नहीं उल्फ़त साबित करो अमल से साहब वल्लाह को दख़्ल मेरी मंतिक़ में नहीं Share on: