या-रब कोई नक़्श-ए-मुद्दआ भी न रहे Admin Rubaai << ये मसअला-ए-दक़ीक़ सुनिए ह... वाहिद मुतकल्लिम का हो जो ... >> यारब कोई नक़्श-ए-मुद्दआ भी न रहे और दिल में ख़याल-ए-मा-सिवा भी न रहे रह जाए तो सिर्फ़ बे-निशानी बाक़ी जो वहम में है सो वो ख़ुदा भी न रहे Share on: