आ के पत्थर तो मिरे सेहन में दो-चार गिरे By Sher << आज भी शायद कोई फूलों का त... शाम को सुब्ह से ताबीर करो... >> आ के पत्थर तो मिरे सेहन में दो-चार गिरे जितने उस पेड़ के फल थे पस-ए-दीवार गिरे Share on: