आज भी शायद कोई फूलों का तोहफ़ा भेज दे By Sher << आलम में जिस की धूम थी उस ... आ के पत्थर तो मिरे सेहन म... >> आज भी शायद कोई फूलों का तोहफ़ा भेज दे तितलियाँ मंडला रही हैं काँच के गुल-दान पर Share on: