आ जाए कोई रंज मिटाने को कहीं से By Sher << आह करता है तो ज़ंजीर भी र... तेरी आँखों तेरी ज़ुल्फ़ों... >> आ जाए कोई रंज मिटाने को कहीं से अफ़्लाक से उतरे या निकल आए ज़मीं से Share on: