आपस की गुफ़्तुगू में भी कटने लगी ज़बाँ By Sher << ऐ वतन जब भी सर-ए-दश्त कोई... मिरी तमन्ना है अब के तुम ... >> आपस की गुफ़्तुगू में भी कटने लगी ज़बाँ अब दोस्तों से तर्क-ए-मुलाक़ात चाहिए Share on: