ऐ वतन जब भी सर-ए-दश्त कोई फूल खिला By Sher << अर्सा-ए-ज़ुल्मत-ए-हयात कट... आपस की गुफ़्तुगू में भी क... >> ऐ वतन जब भी सर-ए-दश्त कोई फूल खिला देख कर तेरे शहीदों की निशानी रोया Share on: