अब भी कुछ दिल में रऊनत की झलक बाक़ी है By Sher << क़ैद की मुद्दत बढ़ी छुटने... कहीं शेर ओ नग़्मा बन के क... >> अब भी कुछ दिल में रऊनत की झलक बाक़ी है या-ख़ुदा फिर किसी बद-ख़ू से मोहब्बत हो जाए Share on: