ख़याल क्या है जो अल्फ़ाज़ तक न पहुँचे 'साज़' By Sher << रंज-ओ-ग़म उठाए हैं फ़िक्र... शाम ने बर्फ़ पहन रक्खी थी... >> ख़याल क्या है जो अल्फ़ाज़ तक न पहुँचे 'साज़' जब आँख से ही न टपका तो फिर लहू क्या है Share on: