'अदम' रोज़-ए-अजल जब क़िस्मतें तक़्सीम होती थीं By क़िस्मत, शराब, Sher << अपनी तो कोई बात बनाए नहीं... अजीब क़ैद थी जिस में बहुत... >> 'अदम' रोज़-ए-अजल जब क़िस्मतें तक़्सीम होती थीं मुक़द्दर की जगह मैं साग़र-ओ-मीना उठा लाया Share on: