एहसान-ए-रब मोहब्बतें इतनी मिलीं 'अदील' By एहसान, Sher << हर तरफ़ अपने ही अपने हाए ... दिल की धड़कन को सुना ग़ौर... >> एहसान-ए-रब मोहब्बतें इतनी मिलीं 'अदील' इस उम्र-ए-मुख़्तसर में न लौटा सकेंगे हम Share on: