अगरचे रोज़ मिरा सब्र आज़माता है By Sher << क़िस्मत के बाज़ार से बस इ... ख़ुद अपनी फ़िक्र उगाती है... >> अगरचे रोज़ मिरा सब्र आज़माता है मगर ये दरिया मुझे तैरना सिखाता है Share on: