अहबाब से रखता हूँ कुछ उम्मीद-ए-ख़ुराफ़ात By Sher << बस इस ख़याल से देखा तमाम ... गहरे समुंदरों में उतरने क... >> अहबाब से रखता हूँ कुछ उम्मीद-ए-ख़ुराफ़ात रहते हैं ख़फ़ा मुझ से बहुत लोग इसी से Share on: