ऐ याद-ए-दोस्त आज तू जी भर के दिल दुखा By Sher << हवा भी चल रही है और जागती... हर बार नया ले के जो फ़ित्... >> ऐ याद-ए-दोस्त आज तू जी भर के दिल दुखा शायद ये रात हिज्र की आए न फिर कभी Share on: