अक्स-ए-ख़ुशबू हूँ बिखरने से न रोके कोई By Sher << जिस दिन से अपना तर्ज़-ए-फ... वो धूप थी कि ज़मीं जल के ... >> अक्स-ए-ख़ुशबू हूँ बिखरने से न रोके कोई और बिखर जाऊँ तो मुझ को न समेटे कोई Share on: