अमरद-परस्त है तो गुलिस्ताँ की सैर कर By Sher << ब'अद फ़रहाद के फिर को... अजब तेरी है ऐ महबूब सूरत >> अमरद-परस्त है तो गुलिस्ताँ की सैर कर हर नौनिहाल रश्क है याँ ख़ुर्द-साल का Share on: