किताब-ए-इश्क़ के जो मो'तबर रिसाले हैं By Sher << मैं ऐसे दर का गदा हूँ जहा... जो सारे दिन की थकन ओढ़ कर... >> किताब-ए-इश्क़ के जो मो'तबर रिसाले हैं उन्हीं में हुस्न के कुछ मुस्तनद हवाले हैं Share on: