अपनी पहचान के सब रंग मिटा दो न कहीं By Sher << अपनी ज़ात के सारे ख़ुफ़िय... अजीब लोग थे ख़ामोश रह के ... >> अपनी पहचान के सब रंग मिटा दो न कहीं ख़ुद को इतना ग़म-ए-जानाँ से शनासा न करो Share on: