अर्सा-ए-ज़ुल्मत-ए-हयात कटे By Sher << इक उम्र भटकते हुए गुज़री ... ऐ वतन जब भी सर-ए-दश्त कोई... >> अर्सा-ए-ज़ुल्मत-ए-हयात कटे हम-नफ़स मुस्कुरा कि रात कटे Share on: