'अतीक़' बुझता भी कैसे चराग़-ए-दिल मेरा By Sher << अश्क पलकों पे बिछड़ कर अप... दर्द की बात किसी हँसती हु... >> 'अतीक़' बुझता भी कैसे चराग़-ए-दिल मेरा लगी थी उस की हिफ़ाज़त में सारी रात हवा Share on: