बदन के लोच तक आज़ाद है वो By Sher << तुम किसी के भी हो नहीं सक... चश्म-ए-गिर्यां की आबयारी ... >> बदन के लोच तक आज़ाद है वो उसे तहज़ीब ने बाँधा नहीं है Share on: