बदन के शहर में आबाद इक दरिंदा है By Sher << हमें हर आने वाला ज़ख़्म-ए... तुम ने हर ज़र्रे में बरपा... >> बदन के शहर में आबाद इक दरिंदा है अगरचे देखने में कितना ख़ुश-लिबास भी है Share on: