बाक़ी अभी क़फ़स में है अहल-ए-क़फ़स की याद By Sher << ऐसी ख़ुशियाँ तो किताबों म... गुज़र रहा हूँ किसी जन्नत-... >> बाक़ी अभी क़फ़स में है अहल-ए-क़फ़स की याद बिखरे पड़े हैं बाल कहीं और पर कहीं Share on: