गुज़र रहा हूँ किसी जन्नत-ए-जमाल से मैं By गुनाह, Sher << बाक़ी अभी क़फ़स में है अह... रंग-ओ-ख़ुशबू का कहीं कोई ... >> गुज़र रहा हूँ किसी जन्नत-ए-जमाल से मैं गुनाह करता हुआ नेकियाँ कमाता हुआ Share on: