बंद कर ले खिड़कियाँ यूँ रात को बाहर न देख By Sher << जीतने मारका-ए-दिल वो लगात... सफ़र का रंग हसीं क़ुर्बतो... >> बंद कर ले खिड़कियाँ यूँ रात को बाहर न देख डूबती आँखों से अपने शहर का मंज़र न देख Share on: