'बाक़ी' जो चुप रहोगे तो उट्ठेंगी उँगलियाँ By Sher << रहेगा किस का हिस्सा बेशतर... कहाँ वो ज़ब्त के दावे कहा... >> 'बाक़ी' जो चुप रहोगे तो उट्ठेंगी उँगलियाँ है बोलना भी रस्म-ए-जहाँ बोलते रहो Share on: