बस्ती के हस्सास दिलों को चुभता है By Sher << हर ज़ख़्म-ए-कोहना वक़्त क... तोड़ डालें हम निज़ाम-ए-ख़... >> बस्ती के हस्सास दिलों को चुभता है सन्नाटा जब सारी रात नहीं होता Share on: